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₹199/- में कार स्क्रैच रिमूवल

नई नवेली कार पर स्क्रैच किसे अच्छा लगता है ? मै ऐसे बहुत से लोगों को जनता हूँ, जो नई कार खरीद कर लाये और किसी ने चाबी रगड़ दी या फिर किसी ने पत्थर रगड़ दिया या गाड़ी रिवर्स करने में कहीं रगड़ लग गयी या ट्रैफिक में किसी बाइक से हल्की सी टक्कर लग गयी और स्क्रैच आ गया। आप कितनी भी सावधानी बरतें, कार या बाइक पर स्क्रैच लग ही जाता है। आज हम आपको बतायेंगे, DIY (डू इट योरसेल्फ, DO IT Yourself ) तकनीक जिससे आप बहुत से स्क्रैच आसानी से ठीक कर लेंगे।

स्क्रैच को पहचाने

स्क्रैच को निकलने से पहले उसे पहचानना आवश्यक है।  Resize Image Scrath

कार के पेंट में मुख्यतः 4 परत होती है, सबसे पहले धातु (Metal / Body Panel), फिर प्राइमर (Primer) की परत इसके बाद बसेकोट (Basecoat) और अंत में क्लियर कोट (Clear Coat) या हार्डनर होता है। इस बुनियादी जानकारी से आप यह पता लगा सकते है कि, क्या आप घर पर ही इस स्क्रैच से छुटकारा पा सकते है या नहीं ।

स्क्रैच को जांचने की प्रक्रिया ?

सबसे पहले आप वाहन को ऐसी जगह खड़ा करें जहाँ सूर्य का प्रकाश ना बहुत अधिक हो ना ही बहुत कम। फिर स्क्रैच वाली सतह को अच्छे से साफ़ कर लें और यह अवश्य ध्यान रखें की उस प्रकार किसी भी धूल या गन्दगी शेष ना रह जाये।  इसके बाद स्क्रैच वाली सतह पर पानी का छिड़काव करें, अगर पानी के छिड़काव से स्क्रैच गायब हो जाता है।  तो चिंता करने की कोई बात नहीं आप घर पर ही इसे ठीक कर सकते है।

अगर स्क्रैच पानी के छिड़काव के बाद भी दिखे ?

यह सामान्य प्रश्न है कि अगर स्क्रैच पानी में भी दिख रहा है तो क्या करें, अगर स्क्रैच पानी में दिख रहा है तो यह स्क्रैच रिमूवल (Scratch Removal) इस बात पर निर्भर करता है कि, स्क्रैच कितना गहरा है। अगर स्क्रैच बेस कोट की ऊपरी परत पर है तो इसे ठीक किया जाना मुमकिन है और इसे घर ही ठीक किया जा सकता है।

स्क्रैच रिमूवल की प्रक्रिया

सबसे पहले हम उस स्क्रैच की बात करते है जो पानी में दिखाई नहीं देता। अगर स्क्रैच पानी में नहीं दिखाई दे रहा है तो आप मोटे दाने वाले रब्बिंग कंपाउंड सतह पर लगाए, फिर मइक्रोफाईबर कपड़े से उसे गोल-गोल घीसें।  थोड़ी देर घिसाई के बाद भी अगर स्क्रैच दिखाई दे रहा है तो आप थोड़ा सा पानी स्क्रैच पर डाले और यह प्रक्रिया वापिस दोहरायें।  कुछ समय पश्चात स्क्रैच गायब हो जायेगा।

अगर स्क्रैच पानी में भी दिखाई दे रहा है तो, सबसे पहले आप 2000 नंबर के रेजमाल से सतह पर थोड़ा सा पानी दाल कर घीस लें, ध्यान रखें बस हल्का सा ही घिसना है। इसके बाद रब्बिंग कंपाउंड से घीसें कुछ देर में स्क्रैच दिखना काम हो जायेगा।  इस प्रक्रिया को तब तक दोहराये जब तक की स्क्रैच सिर्फ एक कोण से ही दिखाई दें अन्यथा नहीं दिखाई दे।  इस प्रकार के स्क्रैच को को पूरी तरह से नहीं मिटाया जा सकता, इसलिए वह एक कोण से तो दिखाई देता ही है।

अगर इन उपायों से भी स्क्रैच दूर नहीं होते तो फिर आपको गैराज पर पेंट करवाना ही पड़ेगा या फिर आप चाहे तो टच अप भी करवा सकते है।

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कोरोना, कैनाइन और कार

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कोरोना वायरस की रोकथाम और उससे बचने के नित्य नवीन विकल्प तलाशे जा रहे है। वैज्ञानिक, डॉक्टर्स , बायोलॉजिस्ट, विषाणुविज्ञानी आदि इस बीमारी को गहराई से समझने के लिए सतत अनुसन्धान कर रहे है। कोरोना वायरस हमारे लिए एक नई बिमारी है और आपको यह जानकार हैरानी होगी की, जानवरों पर भी इस रोग का प्रभाव होता है। सन 1971 कोरोना वायरस ने जर्मनी में पालतू कुत्तों को संक्रमित किया था और फिर यह बीमारी सन 2006 के आस पास अमेरिका के कुत्तों में देखी गयी। जर्मनी में जो कोरोना वायरस के प्रकरण देखे गए उनमे यह वायरस कुत्तों की छोटी आंत को निशाना बना रहा था , परन्त्तु अमेरिका में इस बीमारी ने पालतू कुत्तों की श्वसन प्रणाली को निशाना बनाया और आपको यह जान कर आश्चर्य होगा की कैनाइन 1-डीएपीपी +सीवी, कैनाइन1-डीएपीपीवीएल 2 व कैनाइन 1-सीवी कैनाइन (Canine) आदि कोरोनावायरस (CCV) के टीके है।  जो छ: माह से अधिक उम्र के श्वान को लगाये जाते है।

वैसे अगर श्वान की बात की जाए तो इस प्रजाति को कोरोना वायरस से कोई खतरा नहीं है परन्तु फिर भी जांच में कुछ कुत्तों में यह बीमारी पॉजिटिव (Positive) पाई गयी है। अगर भारत की बात की जाये तो एक सर्वे के मुताबिक हमारे देश में कुल 1 करोड़ 95 लाख पालतु श्वान है और किसी भी श्वान की मौत औपचारिक आंकड़ों के अनुसार कोरोना वायरस से नहीं हुई है, परन्तु इसका मतलब यह नहीं है की आप लापरवाह हो जाये। उल्लेखनीय है की बहुत कम लोग अपनें पालतू कूत्तों को  कोरोना का वैक्सीन लगवाते है। सम्पूर्ण  विश्व में लेख लिखे जाने तक एक भी ऐसा मामला नहीं सामने आया है जिस से यह पता चलता हो, यह रोग किसी श्वान से इंसान को हुआ है। हांगकांग में इस तरह  का एक मामला 25 मार्च को सामने आया है परन्तु यह प्रमाणित नहीं हुआ है, की यह संक्रमण क्या वास्तविकता में श्वान से हुआ है, इसके विपरीत यह कयास लगाया गया की यह इंसान से यह बीमारी उसके द्वारे पाले गए 2 कुत्तों में हुई।

आपने अकसर देखा होगा की लोग कुत्तों को बिठाकर कार में घुमाते है, अगर अमेरिका के सेंटर और डिजीज कण्ट्रोल (CDC ) की  माने तो आपको ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे की आप पालतु पशु के काफी नज़दीक आये या फिर उनका फर हवा में उड़ने लगे. विभिन्न शोधों के मुताबिक यह बात सामने आई है कि, कोरोना वायरस चिकनी सतह पर ज्यादा समय के लिए टिक पता है और ज्यादा फैलता है परत्नु यह भी ध्यान रखने योग्य है कि, कोरोना वायरस जानवरों के बालों (FUR) में बहुत लम्बे समय तक जीवित रह सकता है।  ऐसी स्तिथि में आपको पालतू पशुओं को सहलाने, चूमने, साथ बिस्तर पर सुलाने, उन्हें पास में बिठा कर खाना खिलाने आदि गतिविधियों से आपको बचना चाहिए और,

हाँ सबसे महत्वपूर्ण बात जिस कारण यह लेख लिखा गया जब तक आवश्यक न हो जानवरों को कार में ना बिठाये।  यह तो हुई पालतु पशु के साथ कार में सफ़र करने की बात।

बिना लक्षणों वाले कोरोना मरीज के साथ कार में

हार्वर्ड टी.एच. चैन स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ के असिस्टेंट प्रोफेसर जोसफ एलन के अनुसार एक औसत फैमिली कार का परिमाप लगभग 100 वर्ग फीट होता है और अगर आप कार में कोरोना के asymptomatic मरीज़ के साथ अगर खिड़की बंद करके सफ़र कर रहे है और asymptomatic व्यक्ति प्रत्येक 3 मिनट में खाँसता है तो 72 मिनट में कार में इतने रोगाणु मौजूद होंगे की आपको भी संक्रमण हो जाए। इसके ठीक विपरीत अगर आप कार की खिड़की को मात्र 3 इंच खोल कर गाडी चलाते है तो हवा के तनुकरण (Dilution) की प्रक्रिया सतत चलती रहेगी जो आपको बीमार होने से बचा सकती है।              

आशा करते है कि, इस लेख में प्रदान की गयी जानकारी पाठकों  के लिए कोरोना से रोकथाम में लाभकारी सिद्ध होगी।

आप Vista Anti Bac का इस्तेमाल कर के स्वयं भी कार  को रोगाणुओं से मुक्त कर सकते है।

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क्या कार को सेनेटाइज़ करने की आवश्यकता है ?

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वर्तमान परिदृश्य

कोरोना महामारी ने भारत की जनता को बैक्टीरिया और वाइरस जनित रोगों के भयावह रूप से परिचय कराया है और साथ ही साथ यह सोचने पर भी मजबूर किया है कि,क्या हमारी जीवनशैली वास्तव में स्वस्थ है या उसमें परिवर्तन की आवश्यकता है ? शायद यह बात कम ही लोग जानते होंगे या फिर कम ही लोग इस बारे में सोचते है की हमारे चारों ओर सैंकड़ों की संख्या में वायरस और बैक्टीरिया होते है। हमारा शरीर याने हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता लगातार इन जीवाणुओं से लड़ती रहती है। जब हमारा शरीर इन आक्रमणकर्ताओं का प्रतिकार नहीं कर पाता तो हम बीमार पड़ जाते है। इस जीवाणुओं से लड़ने के लिए हम कुछ सामान्य उपाये रोज़ करते है, जैसे की सब्ज़ियों को काटने से पहले धोना, खाना खाने से पहले हाथ धोना, फलों को खाने से पहले धोना, जूते घर के बाहर उतरना, नाखून काटना, नहाना इत्यादि।

हमारी जीवनशैली और कार आरोग्यशास्त्र (Hygiene)  ?

आज की भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी में हम में से बहुत से लोग ऑफिस जाते समय कार में ही नाश्ता कर लेते है, कॉफी भी कार में पी लेते है , अगर हम परिवार के साथ बाहर जा रहे हो बच्चों द्वारा कार में खाने की किसी वस्तु को कार में गिरा देना बहुत आम बात है,  शाम को ऑफिस से घर जाने से पहले किसी सहकर्मी के साथ या अकेले कार में विस्की के दो-चार पेग लगा लेना बहुत से लोगों के जीवन का हिस्सा है या दोस्तों के साथ किसी लम्बे सफर में शराब ना पी जाये ऐसा कम ही देखने में आता है। ऐसे में शराब के साथ मुँह का स्वाद बदलने के लिए खाया जाने वाला नाश्ता (प्रचलित भाषा में ‘चखना’) कभी सीट पर, तो कभी फर्श पर या डैशबोर्ड पर तो गिर ही जाता है। यह बात अलग है कि, शराब पी कर गाडी चलाना दण्डनीय अपराध है और नैतिकता की दृष्टि से भी गलत है, पर यह कटु सत्य है कि यह हमारी जीवनशैली का हिस्सा बन चुका है। हम कार की सफाई के लिए उसे बाहर से धुलवा लेते है और अंदर वैक्यूम से ड्राई सक्शन करवा लेते है, पर क्या यह काफी है ?

कार कैसे है बहुत अधिक संक्रामक ?

क्या आपने कभी विचार किया की, जो भी खाद्य पदार्थ कार में गिर जाते है वह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते है? यहाँ हम जूतों से फैलने वाली गन्दगी की तो बात ही नहीं कर रहे है, वह भी कार को दूषित करने का प्रमुख कारक है।  जितनी भी जैव निम्नीकरणीय (Bio Degradable) वस्तुयें है, वह सब आपके वाहन को दूषित कर सकती है, जो आपको बीमार बनाने के लिए काफी है।  संक्युत राज्य अमेरिका (USA) के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (National Institute of Health) के मुताबिक कार में रोगाणु (Pathogens) दुगनी गति से गुणित (Multiply) होते है।  शोध (Research) के अनुसार सिर्फ चालाक चक्र (Steering Wheel) के 6.5 वर्ग सेंटीमीटर में रोगाणुओं की 100 कॉलोनी हो सकती है जो आपको बहुत बीमार करने के लिए काफी है। इसके अलावा कार का वातानुकूलन तंत्र ( Air conditioning System) में  400 से अधिक रोगाणु पाए जाते है जिनमे बहुत  संक्रामक रोगाणु एसिनेटोबक्टेर (Acinetobacter), बेसिलस (Bacillus), सूडोमोनास (Pseudomonas), स्टेनोट्रोफोमोनस (Stenotrphomonas)  आदि शामिल है, जो आपके स्वसन तंत्र पर सीधा प्रहार कर सकते है। इस वातानुकूलन तंत्र में 18 प्रकार की संक्रामक फफूंद (Fungi) भी पायी जाती है। देखते है कार के किस हिस्से पर कितने रोगाणु पाए जाते है।

source : rte.com

संक्रामकता के अनुसार क्रम

1. मध्य ढांचा (Central  Console) :-  47 .12 प्रतिशत

2. चालक चक्र :-  23.8 प्रतिशत

3. गियर शिफ्टर  (Gear Shifter)   : 10.97 प्रतिशत

4. दरवाज़े का कुंदा  (Door Handle) : 7.6 प्रतिशत

5. दरवाज़े का ताला (Door Lock) : 3.75 प्रतिशत

6. दरवाज़े का ताला नियंत्रक (Door Lock Control) : 2.77 प्रतिशत

7. रेडियो ध्वनि नियंत्रक (Radio Volume Control) : 2.77 प्रतिशत

8. दरवाज़े की कुंडी (Door latch ) : 1.66 प्रतिशत

9. खिड़की नियंत्रक (Window Control) : 0.83 प्रतिशत

डैशबोर्ड (Dashboard),सीट (Seat) और infotainment सम्बन्धी जानकारी हमें प्रामाणिक रूप से प्राप्त नहीं हुई इसलिए हमने परिकल्पना के आधार पर कोई आंकड़ा नहीं दिया। पाठक स्वयं के विवेक से स्टीयरिंग व्हील और सेंट्रल कंसोल से तुलना कर सकते है।

कैसे करें रोगाणुओं की रोकथाम 

बाज़ार में बहुत से विकल्प मौजूद है जिससे आप स्वयं अपने वाहन के आंतरिक भाग (Interior) को रोगाणुओं से मुक्त कर सकते है।  शोध बताती है कि, कोई भी चाँदी आधारित फोम प्रक्षालक (Sanitizer) यह कार्य बखूबी कर सकता है। वर्तमान में भारत में ही रेसिल केमिकल्स द्वारा निर्मित पूर्णतः स्वदेशी  एंटी-बैक बेहतरीन प्रक्षालक है।

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Anti Bac पर प्रयोगशाला में की गयी शोध यह सत्यापित करती है कि, यह उत्पाद 99 प्रतिशत जीवाणुओं का खात्मा कर सकता है।

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Car अड्डा द्वारा अपनायी गई पद्धति 

  1. सबसे पहले कार की वैक्यूम से सफाई की जाती है।
  2. 3M क्लीनर को दरवाज़ों, डैशबोर्ड, सीट बेल्ट, सीट, फर्श और छत पर लगाया जाता है।
  3. गर्म भाप से ट्रीट किया जाता है।
  4. विशेष मशीन से सफाई की जाती है।
  5. Anti Bac को इंटीरियर में सब जगह लगाया जाता है और फिर से सफाई की जाती है।
  6. AC में प्रक्षालक डाला जाता है।
  7. इंटीरियर को पॉलिश किया जाता है।

इस प्रकार इंटीरियर की पूरी तरह सफाई कर प्रक्षारण की प्रक्रिया पूर्ण की जाती है।  अगर आप कुक्षी और खरगोन में इस सेवा का लाभ लेना चाहते है तो +91 9977151011, +91 8448454427 पर संपर्क कर सकते है या इस फॉर्म को जमा कर सकते है  https://www.caradda.us/book-now/

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5 लाख से कम में यह 5 कार

कोरोना महामारी के चलते सार्वजनिक परिवहन (Public Transport) में कमी आना तय माना जा रहा है।  मंदी के मार झेल रहा ऑटोमोबाइल जगत इन रुझानों को लेकर बहुत आशावादी है। इस उद्देश्य से ही ऑटोमोबाइल कंपनियों द्वारा विभिन्न आकर्षक छूट, आकर्षक फाइनेंस योजनायें और नित्य नवीन प्रयोग किये जा रहे है। यह माना जा रहा है कि, लॉकडाउन के बाद निजी वाहनों के उपयोग में बहुत अधिक वृद्धि होगी। भारत में आज भी एक आदमी के लिए कार खरीदना बड़ी बात होती है और जीवन में होने वाली महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है, पर एक आम नागरिक तो वाहनों का खासा जानकार तो नहीं होता, वह ब्रांड, रंग , बूट स्पेस, रखरखाव मूल्य आदि और हाँ,  सबसे महत्वपूर्ण माइलेज के बारे में जानकारी जुटाते और परखते कंफ्यूज हो जाता है।  हम इस लेख में यह प्रयास कर रहे है कि, वहां खरीदने से पहले आपके पास पर्याप्त जानकारी हो और आपके लिए अपनी पहली कार का चयन करना आसान हो। Car अड्डा द्वारा यह प्रयास किया गया है कि, इस सूची में सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाये आखिर आप कोविड-19

हमारी सूची में सबसे पहले है :-

मारुती सुज़ुकी आल्टो (Maruti Suzuki Alto)

Alto800_Blazing_Red_newइंजन     : 796 CC (वर्ग सेंटीमीटर में इंजन की क्षमता)

विकल्प  : STD, STD (O), LXI/LXI CNG, LXI (O)/LXI (O) CNG, VXI, VXI+

एयरबैग : STD में केवल चालक के लिए

माइलेज : 31.59* किमी/ किग्रा, 22.05* किमी/ली  (पेट्रोल)

कीमत    : 2,99,852* (एक्स शोरूम मूल्य इंदौर)

Alto without airbag

रेनॉल्ट क्विड (Renault Kwid)

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इंजन     : 799 CC

विकल्प  : 0.8 SCe, 1.0 SCe MT & AMT

माइलेज : 25.17* किमी/ली (पेट्रोल)

एयरबैग : चालक के लिए, सह चालक हेतु विकल्प उपलब्ध है

कीमत    : 2,92,290* (एक्स शोरूम मूल्य इंदौर)

KWID Renault

डट्सन गो (Datsun Go)

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इंजन     : 1198 CC

विकल्प  : D, A , A (O), T , T CVT, T (O), T (O) CVT

माइलेज : 19.83* किमी/ली (पेट्रोल)

एयरबैग : चालक और सह चालक के लिए

कीमत    : 3,74,990* (एक्स शोरूम मूल्य इंदौर)

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हुंडई सैंट्रो (Hyundai Santro)

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इंजन     : 1086  CC (1.1 लीटर पेट्रोल और 1.1 लीटर BI Fuel अर्थात पेट्रोल और CNG)

विकल्प  : Era Executive, Magna, Sportz, Asta (Era Executive को छोड़कर बाकी विकल्प ऑटोमैटिक में उपलब्ध है)

माइलेज : 30.48* किमी/ किग्रा, 20.03* किमी/ली  (पेट्रोल)

एयरबैग : चालक के लिए Era Executive, Magna में और सह चालक के लिए Sportz (AMT) व           ASTA (MT -AMT) में उपलब्ध

कीमत    : 4,29,990* (एक्स शोरूम मूल्य इंदौर)

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मारुती सुज़ुकी वैगन आर (Maruti Suzuki Wagon R)

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इंजन     : 998 CC

विकल्प  : LXI 1.0L/LXI 1.0L CNG, VXI 1.0/VXI AGS 1.0, VXI 1.2/VXI AGS 1.2,

ZXI 1.2/ZXI AGS 1.2

माइलेज : 30.48* किमी/ किग्रा, 21.79* किमी/ली  (1.0 MT) (1.0 AGS), 20.52* किमी/ली (1.2 AGS)

एयरबैग : चालक के लिए और ZXI 1.2/ZXI AGS 1.2 में सह चालक के लिए भी

कीमत    : 4,50,552 * (एक्स शोरूम मूल्य इंदौर)

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आशा है कि, वहां का चयन करने में आपको यह जानकारी काम आएगी।

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मंदी के दौर में कार खरीदना हुआ आसान

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कोविड-19 (Covid-19) के रोकथाम से सम्बंधित निर्देशिकाओं के अनुसार सार्वजनिक परिवहन की मांग में लघु अवधि तक कमी देखी जाएगी , ऐसे में निजी वाहनों की बिक्री बढ़ना तय प्रतीत हो रहा है। परन्तु, कोरोना संकट ने ऑटोमोबाइल क्षेत्र की समस्यायें बढ़ा दी है और भारत में कार्यरत सभी ऑटोमोबाइल कंपनियां अपने-अपने स्तर पर बिक्री में आयी बहुत बड़ी गिरावट से जूझने का प्रयास कर रही है। इस तारतम्य में हुंडई (Hyundai Motors) ने ग्राहकों के लिए 5 बहुत आकर्षक योजनायें प्रारम्भ की है। अगर आप हुंडई मोटर्स की कोई कार खरीदना चाहते है , तो मंदी के इस दौर में भी आप इन आकर्षक योजनाओं को ना नहीं कह पाएंगे। इन योजनाओं का निर्धारण मंदी में ग्राहकों की आवश्यकता को ध्यान में रख कर किया गया है।

हुंडई मोटर्स की 5 योजनायें इस प्रकार है :-

.न्यूनतम डाउनपेमेंट योजना (Minimum Down payment Scheme ) :- इस योजना के अंतर्गत हुंडई के चुनिंदा मॉडल्स पर ऑन रोड़ 100 प्रतिशत तक फाइनेंस की सुविधा उपलब्ध है।

2. अधिकतम अवधि की योजना (Longest Duration Scheme) :- वह ग्राहक जो न्यूनतम किश्त का भुगतान करना चाहते है, उनके किये हुंडई के कुछ मॉडल्स पर 8 साल तक की अवधि के किये फाइनेंस की सुविधा उपलब्ध है।

3. स्टेप-अप योजना (Step Up Scheme) :- इस आकर्षक योजना के अंतर्गत ग्राहकों को पहले साल प्रति 1 लाख के लोन पर 1234 रुपये ई.एम.आई. (EMI) के रूप में जमा करने होंगे, एक वर्ष की अवधि पश्चात् ग्राहकों को सामान्य ई.एम.आई. का भुगतान करना होगा। योजना के अंतर्गत लोन की अवधि अधिकतम 7 वर्षों की होगी।

4. गुब्बारा योजना (Balloon Scheme) :- इस योजना के अंतर्गत लोन की अवधि 5 वर्ष की होगी। ग्राहक को लोन राशि का 75 प्रतिशत 59 किश्तों (EMI) में ब्याज़ सहित जमा करना होगा और अंतिम किश्त में बची हुई 25 प्रतिशत राशि जमा करनी होगी। यह योजना सभी मॉडल्स पर उपलब्ध है।

5. 3 माह न्यूनतम किश्त योजना (3 Month Minimum EMI Scheme) :- यह योजना बहुत आकर्षक तो प्रतीत नहीं होती पर, ग्राहक प्रारंभ के 3 माह न्यूनतम किश्त जमा करने का विकल्प चुन सकते है। इसके बाद शेष लोन राशि का भुगतान 3 वर्ष, 4 वर्ष और 5 वर्ष की बराबर किश्तों में करना होगा। यह योजना हुंडई के समस्त मॉडल्स पर उपलब्ध है।

Source : http://www.caradda.us

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1 रु / प्रतिमाह की किश्त पर कार

एक रुपये प्रतिमाह की किश्त (EMI) पर कार ? यकीन करना थोड़ा मुश्किल लगता है, पर यह सच है। कोरोना (COVID-19) ने वाहन उद्योग (Automobile Industry) जगत की कमर तोड़ दी है। एक ओर लॉकडाउन के चलते कम्पनियाँ अपने शोरूम नहीं खोल रही है और दूसरा जहां 33 प्रतिशत क्षमता के साथ शोरूम खुल भी गए है, वहां ग्राहक नदारद है। ऐसे में ऑटोमोबाइल क्षेत्र में कार्यरत कम्पनियाँ ग्राहकों को लुभाने के लिए नित्य नयी योजनायें प्रारम्भ कर रही है, इन योजनों में BS-6 मॉडल पर विभिन्न प्रकार की छूट के साथ आकर्षक फाइनेंस विकल्प भी उपलब्ध है।

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हुंडई की आकर्षक लोन योजनाओं के बारे में तो आप सब जानते ही है। इस शृंखला में फ़्रांसिसी कार निर्माता रेनॉल्ट ने भी वाहन खरीदने के 3 माह पश्चात ई.एम.आई. भुगतान का विकल्प उपलब्ध है साथ ही साथ रेनॉल्ट फाइनेंस “जॉब लॉस कवर” का भी विकल्प उपलब्ध करवा रहा है, जिसकी प्रीमियम राशि 650 रुपये से 1600 रुपये की बीच होगी। ग्राहकों को लुभाने के लिए रेनॉल्ट क्विड (KWID), ट्रिबर (Triber) और डस्टर (Duster) पर रुपये 30,000 से लेकर रुपये 60,000 का सीधा मुनाफा विभिन्न योजनाओं के माध्यम से ग्राहकों को उपलब्ध करवा रहा है। घटती बिक्री से जूझ रहा टाटा मोटर्स मोटर्स भी हरियर (Harrier), टिआगो (Tiago) और टगोर (Tigor) पर रुपये 25,000 से लेकर रुपये 40,000 तक की आकर्षक बचत योजना उपलब्ध करवा रहा है।

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1 रु / प्रतिमाह की किश्त

यह आकर्षक योजना जर्मन कार निर्माता वॉक्सवैगन द्वारा प्रारम्भ की गयी है। कोरोना संकट में नौकरीपेशा वर्ग की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए वॉक्सवैगन ने हॉलिडे ईएमआई योजना (EMI Holiday Option) प्रारम्भ की है। इस योजना के अंतर्गत ईएमआई पर वाहन खरीदने वाले ग्राहकों को प्रथम वर्ष में मात्र 1 रुपये / प्रतिमाह का भुगतान करना होगा। द्वितीय वर्ष से वाहन मूल्य की शेष राशि का भुगतान 24 बराबर किश्तों में करना होगा। वॉक्सवैगन की आधिकारिक वेबसाइट पर ग्राहकों के अन्य 5 फाइनेंस विकल्प उपलब्ध है।

Source: http://www.caradda.us

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कोलाहल में कहीं गुम, मन की आवाज़

जीवन कभी कभी आपको ऐसे चौराहे पर ला कर खड़ा देता है कि, आप यह तय नही कर पाते की आपको किस ओर जाना है । साथ ही साथ स्तिथि भी इतनी पेचीदा हो जाती है कि, आप मन की आवाज़ पर भी ध्यान नही दे पाते। हम अक्सर सुनते है कि, जब कोई रास्ता समझ ना आये तो मन की आवाज़ को सुने, पर हमारे स्वार्थ, हमारी ज़रूरते और हमारी भविष्य की चिंताएं कभी कभी इतनी गहरी होती है कि मन की आवाज़ वहां तक पहुंचने में दम तोड़ देती है।

लगभग 7 महीने बीतने वाले है, मैं समझ नही पा रहा हूँ कि मैं क्या कर रहा हूँ ? जब दिल्ली आया था तो सोचा था, की जो काम मुझे मिला है वह तो रात का है। रात में अपने व्यवसायिक दायित्वों के परिपालन के बाद में, दिन जो भी समय मिलेगा कुछ पढ़ने में, कुछ बुद्धिजीवी लोगो से मिलने में या कुछ समय दिल्ली में आयोजित होने वाली परिचर्चाओं में भागीदार हो कर ज्ञानार्जन करूँगा । पर यहां जो भी हुआ, मेरी आशाओं के विपरीत ही था । यहां मैं कुछ ऐसा उलझा कि, सारे समिकरण ही बदल गए, अपनी अभिरुचियों के लिए समय निकालना तो दूर, मुझे अब खुद के लिए भी समय नही मिलता ।

क्या मैं खुद के साथ इंसाफ कर रहा हूँ ? क्या मैं हमेशा से यह ही करना चाहता था ? क्या इसलिये मैं अपना सब कुछ छोड़ कर दिल्ली आया था ?

बहुत से सवाल है मन में, पर इतना कोलाहल है कि, कुछ सुनाई ही नही देता ।

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सिंध नहीं तो हिन्द कहाँ है ?

क्या आपके मन में यह ख्याल नहीं आता कि, सिंध ना हो तो हिन्द की कल्पना कैसे की जा सकती है ? अगर हिंदुस्तान की आज़ादी से पहले का इतिहास देखे तो पाकिस्तान में हिन्दू, इंडो–ग्रीक, मुसलमान, तुर्कों- मंगोल, अफगान और सिख आबादी आपस में मिलजुलकर ख़ुशी से गुज़र बसर कर रही थी. यह बात काफी पुरानी नहीं है, कुछ 80 साल पुराने इतिहास की हम बात कर रहे है. फिर ऐसा क्या हो गया की एक ही मिट्टी की उपज भारत और पाकिस्तान की आवाम एक दुसरे को घृणा से देखती है ? यह तो हम सब जानते है की पंडित जवाहरलाल और मोहम्मद अली जिन्ना दोनों को ही प्रधानमन्त्री बनने का भूत सवार था और इस कारण ही पाकिस्तान का जन्म हुआ. जिन्ना की मृत्यु 11 सितम्बर 1948 हुई और नेहरु की 27 मई 1964 को. इनकी मृत्यु के बाद तो एक जन आन्दोलन खड़ा हो सकता था. यह बात मुझे समझ नहीं आती की भारत की जनता आज़ादी के नाम पर देश के टुकडे करने पर कैसे राज़ी हो गयी ? नेताओं का स्वार्थ तो समझ आता है पर, जनता का क्या स्वार्थ था? क्यों आज तक दोनों देशो में भारत पाकिस्तान के मध्य की रेडक्लिफ लाइन मिटाने को लेकर कोई जन आन्दोलन नहीं हुआ. आज़ादी के समय तो यह ज़ख्म ताज़ा भी था, तो यह भी निश्चित है की दोनों देशो की जनता के मन में इसकी पीड़ा तो ज़रूर उठती होगी. फिर आज वह पीड़ा कहाँ गुम हो गयी? चाहे कोई कुछ भी कहे पाकिस्तान और बांग्लादेश है तो भारत का अभिन्न अंग. क्या नक़्शे पर एक लकीर खींच देने से आवाम बदल जाती है ? क्या आपका मन नहीं करता मानव इतिहास की दुर्लभ धरोहर हड़प्पा और मोहन जोदड़ो के साक्षात्कार करने का ? क्या हम सियासी चालों में इतना उलझ गए है कि, हमें हमारा देश ही अलग-अलग मुल्क दिखाई देता है?

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शासन की अवहेलना की शिकार भारत की सर्वोत्कृष्ट वर्षा जल संरक्षण प्रणाली

कुछ माह पूर्व मध्यप्रदेश के धार जिले के सभी प्रमुख समाचार पत्रों में मांडव के सम्बन्ध में एक समाचार प्रमुखता से प्रकाशित किया गया था. समाचार का मुख्य शीर्षक ” 2018 से मांडव को मिलने लगेगा नर्मदा जल ” या “नर्मदा से लिफ्ट करेंगे जल, धार – मांडव को मिलेगा पानी” ऐसा ही कुछ था . इस परियोजना की कुल लागत  20 करोड़ 25 लाख रुपये बताई जा रही है. आपको लग रहा होगा इसमें कौन सी बड़ी बात है, आम जनता को जल संकट से बचाने के लिए और पेयजल उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए शासन द्वारा निर्णय लिया गया होगा, परन्तु मेरा दृष्टिकोण कुछ अलग है. इस लेख के माध्यम से में आपको मांडव के कुछ अनछुए पहलुओ से अवगत करवाना चाहता हूँ .

ऐसा माना जाता है 8 वी शताब्दी में परमार राजओं द्वारा स्थापित माण्डव की आबादी 4 – 5 लाख थी, यह आबादी वर्तमान में घट कर कुछ 25 हज़ार के आस पास रह गयी है. यह जाहिर सी बात है कि, इतनी बड़ी आबादी के लिए मूलभूत सुविधाओं में सबसे आवश्यक “जल प्रबंधन”, तत्कालीन शासको के लिए एक चुनौती से कम नहीं होगा. तथाकथित रूप तकनीक में पिछड़े हुए यहाँ के शासको की दूरदृष्टि ने माण्डव में कुछ ऐसा कर दिया जो आज हमें हैरानी में डाल देता है और सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह माण्डव आने वाले अधिकतम पर्यटक इस तथ्य से अपरिचित है .

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रानी रूपमती महल का प्रथम तल

आपको यह जान कर हैरानी होगी की पुराकाल में  माण्डव में  40 तालाब, 70 स्टापडैम  व 1200 बावड़िया और कुंए थे और इन समस्त संरचनाओ का आधार वर्षा जल प्रबंधन था. माण्डव के सुप्रसिद्ध रानी रूपमती महल में वर्षाजल को संगृहीत कर पहली मंजिल पर उतारा जाता था, यहाँ कोयले और रेत के माध्यम से फ़िल्टर करने के बाद इस पानी को एक बड़े कुण्ड में एकत्र किया जाता था . इस महल में दो कुण्ड है एक छोटा और दुसरा बड़ा इसे रेवा कुण्ड के नाम से भी जाना जाता है. बड़े कुण्ड में नीछे उतरने के प्रबंध के साथ साथ पानी के आवक के साथ, जावक की भी प्रणाली है . यहाँ का पानी लिफ्ट कर सामने स्थित बाजबहादुर के महल में पहुँचाया जाता था.

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नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर में निर्मित नागफनी

माण्डव का नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर वर्षा जल प्रबंधन का अत्यंत सुन्दर उदाहरण है. मीराबाई बाई की जिरात वाली पहाड़ी से बहते हुए जल महादेव मंदिर के ऊपर निर्मित एक तालाब में एकत्रित होता है और इस तालाब का ओवरफ्लो एक कुण्ड से होता हुआ, महादेव मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करता है. यहाँ से पानी पुन: कुण्ड में आता है और फिल्ट्रेशन की प्रक्रिया से गुज़रता हुआ नागफनी से गुज़रता है.

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जहाज़ महल

जहाज़ महल में प्रवेश करते ही लगता है की इसका यह नाम कैसे पड़ा. इसके एक ओर मुंज तालाब और दूसरी ओर कपूर तालाब. जहाज़ महल में वर्षा जल रमणीय फिल्ट्रेशन प्रणाली से होता हुआ सूरजकुंड में पहुंचता है . यह कुण्ड मुंज और कपूर तालाब के मध्य स्थित है. आवश्यकता पड़ने पर इसका पानी दोनों तालाबो में पहुँचाया जाता था. यहाँ गौरतलब है की मांडव में रहट प्रणाली के माध्यम से पानी उंचाई पर पहुँचाया जाता था और फिर इस पानी को गर्म पत्थरों से पर से गुज़ार कर स्नानगृह और स्विमिंग पूल में भेजा जाता था .

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चम्पा बावड़ी

हिंडोला महल के पास स्थित चम्पा के फूलो के आकर की 3 मंजिली चम्पा बावड़ी में पानी फ़िल्टर कर पहुंचाया जाता था और पत्थरों के पाइप के माध्यम से कमरों को वातानुकूलित बनाने में इसका प्रयोग किया जाता था. ऐसा कहा जाता है, आक्रमण के समय इसमें निर्मित गुप्त दरवाजों से मांडू के बाहर पहुंचा जा सकता था. यह भी कहा जाता है की रानियों की प्रसूति यहाँ होती थी. चम्पा बावड़ी में पानी का मुख्य स्त्रोत हिंडोला महल से संगृहीत वर्षा जल था.

गदाशाह के महल से पास स्थित उजाली व अँधेरी बावड़ी, सागर तालाब, समौती कुण्ड, रेवा कुण्ड, राजा हौज, भोर , लम्बा,मान, सिंगोडी, सैनिक चौकियो के 35 तालाब और बावडिया आदि असंख्य संरचनाये है जो माण्डव के स्वर्णिम वर्षा जल प्रबंधन के इतिहास का प्रत्यक्ष प्रमाण है. इतिहासकारों और विशेषज्ञों की माने तो माण्डव में इतना जल संरक्षण करने की क्षमता है की वह अपने साथ धार शहर की भी पूर्ण जल आपूर्ति कर सकता है.

क्या आपको नहीं लगता की शासन अगर नवीन जल आपूर्ति प्रणाली के स्थान पर अगर जीर्ण पड़ी माण्डव की जल संग्रहण प्रणाली का जीर्णोधार कर जल आपूर्ति का प्रबंध करे तो कम लगत में अधिक लाभ होने के साथ साथ एक सांस्कृतिक धरोहर का भी संरक्षण हो जायेगा.

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क्या बिना बिजली के फसलो की सिंचाई संभव है ?

 

यह एक आम धारणा बन गयी है की आदिवासी समाज पिछड़ा हुआ शोषित समाज है और इस समाज को मुख्य धारा में लाने की आवश्यकता है . देश के नीति निर्माता हमारे राजनेता भी कई दशको से यही राग अलापते आ रहें है, इसलिए शहरों में रहने वाली आबादी को भी यही लगता है की आदिवासी समाज को उन्नत करने के लिए उन्हें शिक्षित और विलायती तौर तरीके सिखाने की आवश्यकता है .

आदिवासी समाज को शायद ही किसी उन्नयन की आवश्यकता हो . इस बात का प्रमाण मध्यप्रदेश के धार जिले की डही तहसील के पडियाल और पीथनपुर  गाँव में देखने को मिलता है . यहाँ आदिवासीयों द्वारा विकसित की गयी सिंचाई तकनीक गुरत्वाकर्षण के नियम को धता बताती नज़र आती है . यहां पानी को आवश्यकता अनुसार मोड़ कर पहाड़ी पर स्थित अपने खेतों में बिना किसी आधुनिक उपकरण के पानी ले जाते है . इस तकनीक को यहां “पाट” प्रणाली कहा जाता है और हम इसे उद्ध्वंत सिंचाई या लिफ्ट इरीगेशन के नाम से जानते है .

हर किसी के मन में यह प्रश्न आयेगा की ऐसा करना तो लगभग ना मुमकिन है, बिना किसी उपकरण की मदद के,  गुरत्वाकर्षण के नियम के विरूद्ध पानी को कई मीटर ऊपर पहाड़ो को कैसे ले जाया जा सकता है ? पाट सिंचाई प्रणाली में नीचे की और बहाने वाले किसी नाले या नदी का चयन कर उस समभूमि की तलाश की जाती  है जो खेत की उंचाई के समानांतर हो . इस स्थान पर मिट्टी और पत्थरों की मदद से एक बाँध बनाया जाता है. पानी को रोकने की व्यवस्था कर लेने के बाद नालियों के माध्यम से किनारे किनारे खेत तक पानी ले जाया जाता है . यहां नालियों के निर्माण में आदिवासियों की अपकेंद्री और अभिकेन्द्री बल की नैसर्गिक समझ पानी को खेतो तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है . इन नालियों के निर्माण में जहां जहां बड़े गढ्डे आते है वहां पेड़ो के खोखले तनो को पाइप की तरह इस्तेमाल करके  पानी के लिए रास्ता बनाया जाता है .

इन नालियों को विकेन्द्रित कर छोटी नालियों के माध्यम के अलग अलग खेतों में पानी पहुँचाया जाता है . आपको यह जान कर हैरानी होगी की इस प्रणाली के माध्यम से 30 – 40 हार्सपाँवर की क्षमता के समकक्ष सिंचाई की जा सकती है, अर्थात एक 5 हार्सपाँवर की विद्युत मोटर 1 घंटे में 40,000 लीटर पानी उत्सर्जित करती है, तो इस प्रणाली से लगभग एक घंटे में 2,40,000 लीटर पानी एक घंटे में प्राप्त किया जा सकता है . सामन्यात: 1 हेक्टेयर में गेंहू, मक्का आदि फसलो को पूर्ण रूप से तैयार करने में 12 लाख लीटर पानी की आवश्यकता होती है . आप कल्पना कर सकते है की कृषि को सरल बनाने की यह कितनी युक्तिसंगत प्रणाली है .

अब आप स्वयं समझ सखते है किसे सिखाने और किसे सिखाने की आवश्यकता है ? कौन आधुनिक समाज में जी रहा है ? कौन प्रकृति को नुकसान पहुंचाये बिना विकास की और अग्रसर है ? पर दुःख इस बात का है की सिंचाई के वर्तमान साधनों ने प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के साथ साथ “पाट” प्रणाली को लुप्त होने की कगार पर पहुंचा दिया है . काश हमारे राजनेता प्राचीन प्रणालियों के माध्यम के सिंचाई की योजनाये विकसित करते तो शासन के पैसे का अपव्यय तो कम होता ही साथ ही साथ एक अत्यंत आधुनिक प्रणाली भी फलफूल रही होती .