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कोरोना, कैनाइन और कार

car dog corona (1)

कोरोना वायरस की रोकथाम और उससे बचने के नित्य नवीन विकल्प तलाशे जा रहे है। वैज्ञानिक, डॉक्टर्स , बायोलॉजिस्ट, विषाणुविज्ञानी आदि इस बीमारी को गहराई से समझने के लिए सतत अनुसन्धान कर रहे है। कोरोना वायरस हमारे लिए एक नई बिमारी है और आपको यह जानकार हैरानी होगी की, जानवरों पर भी इस रोग का प्रभाव होता है। सन 1971 कोरोना वायरस ने जर्मनी में पालतू कुत्तों को संक्रमित किया था और फिर यह बीमारी सन 2006 के आस पास अमेरिका के कुत्तों में देखी गयी। जर्मनी में जो कोरोना वायरस के प्रकरण देखे गए उनमे यह वायरस कुत्तों की छोटी आंत को निशाना बना रहा था , परन्त्तु अमेरिका में इस बीमारी ने पालतू कुत्तों की श्वसन प्रणाली को निशाना बनाया और आपको यह जान कर आश्चर्य होगा की कैनाइन 1-डीएपीपी +सीवी, कैनाइन1-डीएपीपीवीएल 2 व कैनाइन 1-सीवी कैनाइन (Canine) आदि कोरोनावायरस (CCV) के टीके है।  जो छ: माह से अधिक उम्र के श्वान को लगाये जाते है।

वैसे अगर श्वान की बात की जाए तो इस प्रजाति को कोरोना वायरस से कोई खतरा नहीं है परन्तु फिर भी जांच में कुछ कुत्तों में यह बीमारी पॉजिटिव (Positive) पाई गयी है। अगर भारत की बात की जाये तो एक सर्वे के मुताबिक हमारे देश में कुल 1 करोड़ 95 लाख पालतु श्वान है और किसी भी श्वान की मौत औपचारिक आंकड़ों के अनुसार कोरोना वायरस से नहीं हुई है, परन्तु इसका मतलब यह नहीं है की आप लापरवाह हो जाये। उल्लेखनीय है की बहुत कम लोग अपनें पालतू कूत्तों को  कोरोना का वैक्सीन लगवाते है। सम्पूर्ण  विश्व में लेख लिखे जाने तक एक भी ऐसा मामला नहीं सामने आया है जिस से यह पता चलता हो, यह रोग किसी श्वान से इंसान को हुआ है। हांगकांग में इस तरह  का एक मामला 25 मार्च को सामने आया है परन्तु यह प्रमाणित नहीं हुआ है, की यह संक्रमण क्या वास्तविकता में श्वान से हुआ है, इसके विपरीत यह कयास लगाया गया की यह इंसान से यह बीमारी उसके द्वारे पाले गए 2 कुत्तों में हुई।

आपने अकसर देखा होगा की लोग कुत्तों को बिठाकर कार में घुमाते है, अगर अमेरिका के सेंटर और डिजीज कण्ट्रोल (CDC ) की  माने तो आपको ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे की आप पालतु पशु के काफी नज़दीक आये या फिर उनका फर हवा में उड़ने लगे. विभिन्न शोधों के मुताबिक यह बात सामने आई है कि, कोरोना वायरस चिकनी सतह पर ज्यादा समय के लिए टिक पता है और ज्यादा फैलता है परत्नु यह भी ध्यान रखने योग्य है कि, कोरोना वायरस जानवरों के बालों (FUR) में बहुत लम्बे समय तक जीवित रह सकता है।  ऐसी स्तिथि में आपको पालतू पशुओं को सहलाने, चूमने, साथ बिस्तर पर सुलाने, उन्हें पास में बिठा कर खाना खिलाने आदि गतिविधियों से आपको बचना चाहिए और,

हाँ सबसे महत्वपूर्ण बात जिस कारण यह लेख लिखा गया जब तक आवश्यक न हो जानवरों को कार में ना बिठाये।  यह तो हुई पालतु पशु के साथ कार में सफ़र करने की बात।

बिना लक्षणों वाले कोरोना मरीज के साथ कार में

हार्वर्ड टी.एच. चैन स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ के असिस्टेंट प्रोफेसर जोसफ एलन के अनुसार एक औसत फैमिली कार का परिमाप लगभग 100 वर्ग फीट होता है और अगर आप कार में कोरोना के asymptomatic मरीज़ के साथ अगर खिड़की बंद करके सफ़र कर रहे है और asymptomatic व्यक्ति प्रत्येक 3 मिनट में खाँसता है तो 72 मिनट में कार में इतने रोगाणु मौजूद होंगे की आपको भी संक्रमण हो जाए। इसके ठीक विपरीत अगर आप कार की खिड़की को मात्र 3 इंच खोल कर गाडी चलाते है तो हवा के तनुकरण (Dilution) की प्रक्रिया सतत चलती रहेगी जो आपको बीमार होने से बचा सकती है।              

आशा करते है कि, इस लेख में प्रदान की गयी जानकारी पाठकों  के लिए कोरोना से रोकथाम में लाभकारी सिद्ध होगी।

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By Tapan Deshmukh

Freelance journo,Blogger, Political Aide, Social Activist, RTI Activist, Fossil Explorer

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