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गुणकारी वैध ” शहद “

Photo Courtesy:  itoozhiayurveda.in

600 ईसा पूर्व से 600 ईसा बाद तक भारत में तीन महान चिकित्सकों का जन्म हुआ। प्रामाणिक इतिहास के अनुसार विश्व के प्रथम शल्य चिकित्सक सुश्रुत ,  प्रथम अयुर्वेदाचार्य चरक और इन दोनो महान चिकित्सकों की शिक्षाओं कों प्रमाणित करने वाले वाग्भट्ट है। इन अत्यन्त महान विद्वानो द्वारा चिकित्सा शास्त्र की अनेकानेक पुस्तकों का संकलन किया गया, इन पुस्तकों में सुश्रुत की सुश्रुत संहिता , चरक की चरक संहिता और वाग्भट्ट द्वारा रचित अष्टांगह्रदयम व अष्टांगसंग्रह का उपयोग विश्व के चिकित्सक सन्दर्भ के रुप मे आज भी करते है। उल्लेखित समस्त ग्रन्थो में विभिन्न रोगों के उपचार के लिए शहद के उपयोग का वर्णन किया गया है।  ऋग्वेद के अनुसार मधुमक्खियाँ  विभिन्न नक्षत्रों एवं ग्रहों के अनुसार भिन्न भिन्न प्रकार का शहद तैयार करती है।

 वर्णन

सुश्रुत के अनुसार शहद के सात प्रकार की मधुमक्खियाँ सात प्रकार के शहद का निर्माण करती  है : (1) पौट्टिक :- बड़ी मक्खियों का शहद, (2) क्षुद्र  :- छोटी मक्खियों का शहद, (3) छत्र :- छाते के आकार का पहाड़ी मक्खियों का शहद, (4 ) मक्षिका :- भूरे रंग की बड़ी मक्खियों का शहद, (5) आर्ध्य :- सरसों के खेत में लगा मधुमक्खियों का छत्ता, (6) भ्रामर :- भौरों का शहद और  (7) औद्दलक :- दीमक की बाम्बी पर लगा शहद का छत्ता। पौट्टिक  शहद को छोड़कर अन्य शहद मानव शरीर के लिए गुणकारी माने गये है। चरक  संहिता में वर्णित शर्कारा: को आज हम लोग ‘हनी शुगर ‘ अर्थात शहद से निर्मित शक्कर के नाम से जानते है।

 शहद के औषधीय उपयोग 

1 . तुलसी के रस मे मुलहटी व थोड़ा सा शहद मिलाकर सेवन करने से खांसी के रोग़ का उपचार होता है।

2 . पथरी रोग़ से पीड़ित द्वारा तुलसी की पत्तियों कों उबालकर बनाये गये काढ़े के साथ 6 माह तक शहद का सेवन करने से पथरी मुत्र मार्ग से बाहर निकल जाती है।

3 . हिचकी और अस्थामा रोग़ से पीड़ित द्वारा 10  ग्राम तुलसी के रस के साथ 5 ग्राम शहद का सेवन करने से इस बिमारी का उपचार होता है।

4 . कमज़ोर पाचन के उपचार में 10 ग्राम तुलसी के साथ 5 ग्राम काली मिर्च एवं 5 ग्राम शहद का सेवन लाभकारी सिध्द होता है।

5 . जामुन के रसों से बना शहद मधुमेंह के रोगियों के लिए गुणकारी होता है।

 हद के असंख्य औषधीय उपयोग का वर्णन एक आलेख मे करना लगभग असम्भव है, उल्लेखित युक्तियों के अतिरिक्त शहद का दैनिक सेवन मोटापे को नियन्त्रित करने मे सहायक,कोशिकाओं को जोड़े रखने वाला, झुरियाँ कम करने वाला , रोगप्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करने वाला, ह्रदय को स्वस्थ रखने वाला, वीर्यवर्धक, बवासीर, पित्त, प्रमेह, उल्टी, कब्ज, जलन  आदि रोगों के उपचार के लिए उपयुक्त माना गया है।  वर्तमान में अतिव्यस्त दिनचर्या वाले लोगों के लिए शहद अमृत के समान और घर में मौजूद गुणकारी वैध ही है।   Honey Diet

By Tapan Deshmukh

Freelance journo,Blogger, Political Aide, Social Activist, RTI Activist, Fossil Explorer

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